सत्य के प्रयोग अथवा आत्मकथा - महात्मा गाँधी
लेखक: मोहनदास करमचंद गाँधी
अनुवादक: काशीनाथ त्रिवेदी
यूनिकोड़ संस्करण: संजय खत्री
पहला भाग[edit]
- जन्म
- बचपन
- बाल-विवाह
- पतित्व
- हाईस्कूल में
- दुःखद प्रसंग -1
- दुःखद प्रसंग -2
- चोरी और प्रायश्चित
- पिता की मृत्यु और मेरी दोहरी शरम
- धर्म की झांकी
- विलायत की तैयारी
- जाति से बाहर
- आखिर विलायत पहुँचा
- मेरी पसंद
- 'सभ्य' पोशाक में
- फेरफार
- खुराक के प्रयोग
- लज्जाशालता मेरी ढाल
- असत्यरुपी विष
- धर्मों का परिचय
- निर्बल के बलराम
- नारायण हेमचंद्र
- महाप्रदर्शनी
- बैरिस्टर तो बने लेकिन आगे क्या ?
- मेरी परेशानी
दूसरा भाग[edit]
- रायचंदभाई
- संसार-प्रवेश
- पहला मुकदमा
- पहला आघात
- दक्षिण अफ्रीका की तैयारी
- नेटाल पहुँचा
- अनुभवों की बानगी
- प्रिटोरिया जाते हुए
- अधिक परेशानी
- प्रिटोरिया में पहला दिन
- ईसाइयों से संपर्क
- हिन्दुस्तानियों से परिचय
- कुलीनपन का अनुभव
- मुकदमे की तैयारी
- धार्मिक मन्थन
- को जाने कल की
- नेटाल में बस गया
- रंग-भेद
- नेटाल इंडियन कांग्रेस
- बालासुंदरम्
- तीन पौंड का कर
- धर्म-निरीक्षण
- घर की व्यवस्था
- देश की ओर
- हिन्दुस्तान में
- राजनिष्ठा और शुश्रूषा
- बम्बई में सभा
- पूना में
- जल्दी लौटिये
तीसरा भाग[edit]
- तूफान की आगाही
- तूफान
- कसौटी
- शान्ति
- बच्चों की सेवा
- सेवावृत्ति
- ब्रह्मचर्य -1
- ब्रह्मचर्य -2
- सादगी
- बोअर-युद्ध
- सफाई आन्दोलन और अकाल-कोष
- देश-गमन
- देश में
- क्लर्क और बैरा
- कांग्रेस में
- लार्ड कर्जन का दरबार
- गोखले के साथ एक महीना - 1
- गोखले के साथ एक महीना - 2
- गोखले के साथ एक महीना - 3
- काशी में
- बम्बई में स्थिर हुआ ?
- धर्म-संकट
- फिर दक्षिण अफ्रीका में
चौथा भाग[edit]
- किया-कराया चौपट?
- एशियाई विभाग की नवाबशाही
- कड़वा घूंट पिया
- बढ़ती हुई त्यागवृति
- निरीक्षण का परिणाम
- निरामिषाहार के लिए बलिदान
- मिट्टी और पानी के प्रयोग
- एक सावधानी
- बलबान से भिड़न्त
- एक पुण्यस्मरण और प्रायश्चित
- अंग्रेजों का गाढ़ परिचय
- अंग्रेजों से परिचय
- इंडियन ओपीनियन
- कुली-लोकेशन अर्थात् भंगी-बस्ती ?
- महामारी - 1
- महामारी -2
- लोकेशन की होली
- एक पुस्तक का चमत्कारी प्रभाव
- फीनिक्स की स्थापना
- पहली रात
- पोलाक कूद पड़े
- जाको राखे साइयां
- घर में परिवर्तन और बालशिक्षा
- जुलू-विद्रोह
- हृदय-मंथन
- सत्याग्रह की उत्पत्ति
- आहार के अधिक प्रयोग
- पत्नी की दृढ़ता
- घर में सत्याग्रह
- संयम की ओर
- उपवास
- शिक्षक के रुप में
- अक्षर-ज्ञान
- आत्मिक शिक्षा
- भले-बूरे का मिश्रण
- प्रायश्चित-रुप उपवास
- गोखले से मिलने
- लड़ाई में हिस्सा
- धर्म की समस्या
- छोटा-सा सत्याग्रह
- गोखले की उदारता
- दर्द के लिए क्या किया ?
- रवानगी
- वकालत के कुछ स्मरण
- चालाकी?
- मुवक्किल साथी बन गये
- मुवक्किल जेल से कैसे बचा ?
पाँचवा भाग[edit]
- पहला अनुभव
- गोखले के साथ पूना में
- क्या वह धमकी थी?
- शान्तिनिकेतन
- तीसरे दर्जे की विडम्बना
- मेरा प्रयत्न
- कुंभमेला
- लक्षमण झूला
- आश्रम की स्थापना
- कसौटी पर चढ़े
- गिरमिट की प्रथा
- नील का दाग
- बिहारी की सरलता
- अंहिसा देवी का साक्षात्कार ?
- मुकदमा वापस लिया गया
- कार्य-पद्धति
- साथी
- ग्राम-प्रवेश
- उजला पहलू
- मजदूरों के सम्पर्क में
- आश्रम की झांकी
- उपवास
- खेड़ा-सत्याग्रह
- 'प्याजचोर'
- खेड़ा की लड़ाई का अन्त
- एकता की रट
- रंगरूटों की भरती
- मृत्यु-शय्या पर
- रौलट एक्ट और मेरा धर्म-संकट
- वह अद्भूत दृश्य!
- वह सप्ताह! -1
- वह सप्ताह! -2
- 'पहाड़-जैसी भूल'
- 'नवजीवन' और 'यंग इंडिया'
- पंजाब में
- खिलाफत के बदले गोरक्षा ?
- अमृतसर की कांग्रेस
- कांग्रेस में प्रवेश
- खादी का जन्म
- चरखा मिला!
- एक संवाद
- असहयोग का प्रवाह
- नागपुर में पूर्णाहुति
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