निजता से संबंधित समग्र शब्दावली
Sep 09, 2017
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र - 2 : शासन व्यवस्था, संविधान, शासन प्रणाली, सामाजिक न्याय तथा अंतर्राष्ट्रीय संबंध। (खंड – 5 : संसद और राज्य विधायिका - संरचना, कार्य, कार्य संचालन, शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार और इससे उत्पन्न होने वाले विषय) (खंड – 6 : कार्यपालिका और न्यायपालिका की संरचना, संगठन और कार्य- सरकार के मंत्रालय एवं विभाग, प्रभावक समूह और औपचारिक/अनौपचारिक संघ तथा शासन प्रणाली में उनकी भूमिका) |
भूमिका
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सेवानिवृत्त न्यायाधीश के. एस. पुट्टास्वामी बनाम भारत संघ मामले में निर्णय देते हुए निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित किया गया है। इस लेख के अंतर्गत न्यायालय के उक्त निणर्य के संदर्भ में विचार करते हुए निजता के अधिकार से संबद्ध विभिन्न शब्दावलियों के विषय में एक विश्लेषणात्मक अध्ययन प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।
A : Aadhar (आधार) - यह विश्व का सबसे बड़ा बायोमेट्रिक प्रोजेक्ट है। अभी तक भारत सरकार द्वारा 1.17 बिलियन भारतीयों के बायोमेट्रिक और जनसांख्यिकीय डाटा को एकत्रित किया जा चुका है। सरकार का दावा है कि इससे समाज कल्याण योजनाओं में होने वाले रिसाव को रोकने में सहायता मिलेगी। कई याचिकाकर्त्ताओं द्वारा निजता के आधार पर ‘आधार व्यवस्था’ को चुनौती दी गई थी कि यह उनके निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है, जिस पर सरकार द्वारा यह तर्क दिया गया कि भारत में निजता का अधिकार मूल अधिकारों के दायरे में नहीं आता है। हालाँकि, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सरकार के इस तर्क को खारिज़ कर दिया गया है। न्यायालय के अनुसार, निजता का अधिकार भारतीय नागरिकों का संवैधानिक रूप से संरक्षित मौलिक अधिकार है।
B : Biometric (बायोमेट्रिक) - बायोमेट्रिक डाटा में फोटोग्राफ, फिंगरप्रिंट, आईरिस स्कैन (iris scans) आदि को शामिल किया जाता है। इनका उपयोग व्यक्ति की पहचान करने के लिये किया जा सकता है। कल्याणकारी योजनाओं (जिनमें इसका उपयोग किसी व्यक्ति की पहचान को वैधता प्रदान करने के लिये किया जाता है) से परे भारत सरकार द्वारा इसका उपयोग अन्य सेवाओं के संदर्भ में भी किया जा रहा है। इतना ही नहीं कंपनियों द्वारा भी इस बायोमेट्रिक डाटा का उपयोग करने के लिये तकनीकों का निर्माण किया जा रहा है। इस संबंध में विशेषज्ञों का मत है कि बायोमेट्रिक सूचनाओं का इतने वृहत स्तर पर उपयोग जन निगरानी के एक साधन के तौर पर भी किया जा सकता है।
C : Consent/Choice (सहमति/विकल्प) - बीफ का व्यापार करने वाले अथवा बीफ खाने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध हुई हिंसा के परिप्रेक्ष्य में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कहा गया कि किसी भी व्यक्ति को राज्य द्वारा इस संबंध में कोई राय नहीं दी जाएगी कि उसे क्या खाना है, क्या नहीं अथवा कैसे कपड़े पहनने हैं, कैसे नहीं। अथवा किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत, सामाजिक अथवा राजनीतिक जीवन से संबद्ध किसी भी पक्ष से जुड़े मुद्दे पर कोई राय नहीं दी जाएगी।
D : Data-mining (डाटा माइनिंग) – कुछ समय पहले भारतीय व्यवसायी मुकेश अंबानी द्वारा अपने एक बयान में कहा गया था कि चौथी औद्योगिक क्रांति का आधार डाटा एवं संपर्क व्यवस्था है, जिसका महत्त्वपूर्ण संसाधन डाटा (डाटाबद्ध सूचनाएँ) है। हम एक ऐसे युग में प्रवेश कर रहे हैं, जिसमें डाटा एक नया एवं अत्यंत महत्त्वपूर्ण संसाधन है। इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा यह रेखांकित किया गया कि हाल ही में प्राप्त एक जानकारी के अनुसार, विश्व की सबसे बड़ी टैक्सी कंपनी उबर के पास अपना कोई वाहन नहीं है। इसी प्रकार विश्व की सबसे प्रसिद्ध मीडिया कंपनी फेसबुक कोई कंटेंट तैयार नहीं करती है। विश्व की सबसे बड़ी रिटेलर अलीबाबा की कोई वस्तुसूची (inventory) नहीं है। बावजूद इसके उबर के पास अपने उपभोक्ताओं की लोकेशन तथा हाल ही यात्रा संबंधी सभी जानकारियाँ मौजूद होती हैं। इसी प्रकार फेसबुक के पास भी हमारे दोस्तों की सूची मौजूद होती है। अलीबाबा को हमारी शॉपिंग संबंधी आदतों की जानकारी होती है। ये सभी बातें इस संबंध में जल्द-से-जल्द सख्त कार्यवाही किये जाने की आवश्यकता पर बल देती हैं, ताकि भविष्य में डाटा माइनिंग के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याओं का समय रहते निपटारा किया जा सके।
E : Euthanasia (इच्छामृत्यु) - भारतीय कानून में चिकित्सकीय रूप से सहायता प्राप्त आत्महत्या की अनुमति नहीं दी गई है। इस संबंध में न्यायालय ने अपना मत रखते हुए कहा कि निजता के अधिकार में भोजन करने या न करने अथवा दवा लेने या न लेने का अधिकार शामिल होता है। हालाँकि, किसी लम्बे चिकित्सकीय उपचार से पीड़ित व्यक्ति की अपने जीवन का अंत करने संबंधी स्वतंत्रता को निजता के अधिकार के अंतर्गत शामिल नहीं किया जा सकता है।
F : Financial Technology (वित्तीय प्रौद्योगिकी) – जैसे-जैसे इन्टरनेट की उपयोगिता बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे ही वित्तीय संस्थाओं द्वारा प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की क्षमता भी बढ़ती जा रही है। भारत सरकार द्वारा आरंभ की गई ‘जन धन योजना’ इसका सबसे अच्छा उदाहरण है। बैंक खातों से अपने आधार एवं मोबाइल को जोड़ना तथा उसकी समस्त जानकारियों को इंटरनेट के माध्यम से उपभोक्ताओं के मोबाइल से जोड़ने से जो नई समस्या पैदा होती है, वह है साइबर सुरक्षा की समस्या। देश में पर्याप्त साइबर सुरक्षा की व्यवस्था न होने के कारण व्यक्ति की निजी सूचनाओं के चोरी होने का खतरा बना रहता है।
G : Google (गूगल आदि) - गूगल, फेसबुक, उबर, अमेज़न आदि कंपनियों के पास संभवतः उनके देशों की सरकारों की तुलना में उपयोगकर्त्ताओं के विषय में सबसे अधिक डाटा मौजूद होता है। इसलिये नागरिकों की गोपनीयता को सुरक्षित रखने के लिये इस संबंध में संरक्षण प्रदान किये जाने की आवश्यकता है।
H : Health records (स्वास्थ्य रिकॉर्ड) - किसी भी व्यक्ति के स्वास्थ्य रिकॉर्ड उसके महत्त्वपूर्ण निजी रिकार्ड्स होते हैं। इन निजी दस्तावेज़ों को सार्वजनिक किये जाने से समाज में अस्थिरता का माहौल बन सकता है। किसी व्यक्ति के चिकित्सकीय रिकॉर्ड को अनाधिकृत रूप से अपने पास रखना, व्यक्ति की गोपनीयता का अतिक्रमण करना है।
I : Information control (सूचना नियंत्रण) - न्यायाधीश डी.वाई चंद्रचूड द्वारा इस संबंध में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त निजता के तीन पहलुओं का उल्लेख किया गया : स्थानिक नियंत्रण, निर्णयात्मक स्वायत्तता और सूचना नियंत्रण। इस युग में सूचना नियंत्रण अधिक प्रासंगिक है। वस्तुतः सूचना की गोपनीयता निजता के अधिकार का एक पहलू है। सूचना के इस युग में गोपनीयता के खतरे केवल राज्य अभिकर्त्ताओं द्वारा ही नहीं बल्कि गैर-राज्य अभिकर्त्ताओं द्वारा भी उत्पन्न होते हैं।
J : Juvenile justice (किशोर न्याय) – ध्यातव्य है कि सरकार द्वारा किशोर न्याय अधिनियम (Juvenile Justice Act) को प्रस्तुत करते समय इस संबंध में यह वर्णित किया गया था कि भारत को निजता के विषय में मौलिक अधिकार की आवश्यकता नहीं है। साथ ही यह भी कहा गया था कि प्रत्येक बच्चे के पास न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से उसकी निजता और विश्वास को संरक्षित करने का अधिकार होना चाहिये। हालाँकि इस कानून के तहत किसी भी बच्चे की निजता को वैधानिक कानून बनाया गया है, तथापि इस निर्णय में यह स्पष्ट किया गया कि किसी भी बच्चे को चाहे वह अपराधी है अथवा नहीं अपनी सूचनाओं को सुरक्षित रखने का अधिकार है।
K : KYC (केवाईसी) : ‘नो योर कस्टमर’ की अवधारणा को बहुत सी योजनाओं एवं संस्थाओं की मुख्य शर्तों में शामिल किया गया है। फिर चाहे वह इंश्योरेंस फर्म हो या फिर बैंक, क्रेडिट कार्ड अथवा कोई अन्य संस्था। यही कारण है कि न्यायालय द्वारा इस संबंध में आवश्यक कदम उठाए जाने का आदेश दिया गया है।
L : Laws (कानून) – सर्वोच्च न्यायालय के कथनानुसार, "गोपनीयता का अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के एक आंतरिक हिस्से के रूप में संरक्षित है। हालाँकि, अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने इस संबंध में तर्क देते हुए कहा कि इस संदर्भ में ज़्यादा अच्छा यह होगा कि गोपनीयता के अधिकार को एक सामान्य कानून बना देना चाहिये न कि मौलिक अधिकार।
M : Mobile (मोबाइल) – पिछले कुछ समय में भारत मोबाइल हैंडसेट के एक बहुत बड़े बाज़ार के रूप में उभरकर सामने आया है। भारत में मोबाइल फोन के आपूर्तिकर्त्ताओं के रूप में चीनी कंपनियों की सबसे अहम् भूमिका है। देश में बहुत अधिक मात्रा में मोबाइल फोन का इस्तेमाल होने के कारण डाटा संरक्षण का मुद्दा भारतीय प्राधिकारियों के लिये इस समय सबसे अधिक चिंता का विषय है। यही कारण है कि सर्वोच्च न्यायालय के निजता पर दिये गए इस निर्णय का प्रभाव मोबाइल कंपनियों पर (डाटा की गोपनीयता और संरक्षण के संबंध में) होगा।
N : NATGRID (नेटग्रिड) - 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद तत्कालीन गृहमंत्री पी. चिदंबरम द्वारा यह कल्पना की गई थी कि नेटग्रिड के अंतर्गत रेलवे, बैंकों, वायुयानों, क्रेडिट कार्ड कंपनियों, इमिग्रेशन जैसी एजेंसियों की 25 श्रेणियों के डाटाबेस को एकीकृत करने का प्रयास किया जाएगा। साथ ही इससे प्राप्त जानकारी को कानून प्रवर्तन अधिकारियों (law enforcement officers) के लिये उपलब्ध कराया जाएगा। इस आदेश के बाद, इस कार्यक्रम के कार्यान्वयन में भी कई कानूनों में संशोधन किये जाने की आवश्यकता हो सकती है, ताकि संपत्ति और बैंक लेन-देन के विवरण जैसे मुद्दों के संबंध में डाटा को साझा करने और स्थानांतरित करने की अनुमति मिल सके।
O : Online shopping (ऑनलाइन शॉपिंग) - ऑनलाइन खरीदारी करते समय वेबसाइट पर इलेक्ट्रॉनिक फुटप्रिंट रह जाते हैं, जिससे किसी व्यक्ति की भोजन की आदतों, भाषा, स्वास्थ्य, हॉबी, लिंग प्राथमिकता, मित्रता और पहनावे के ढंग आदि के बारे में आसानी से जानकारी एकत्रित की जा सकती है। सामान्यतः ऑनलाइन खरीदारी के माध्यम से कंपनियाँ व्यक्ति की निजी जानकारियाँ एकत्रित करके उसे उस जानकारी के अनुसार विज्ञापन भेजकर आकर्षित करने का प्रयास करती हैं। दरअसल, डाटा को साझा करने का उनका मुख्य उद्देश्य अधिक-से-अधिक विज्ञापनों को बढ़ावा देकर व्यापार का प्रसार करना होता है।
P : Profiling (प्रोफाइलिंग) - प्रत्येक व्यक्ति अपनी इच्छा से ही अपने बारे में प्राधिकारियों, कंपनियों अथवा संस्थाओं को अपनी सूचना देता है, परन्तु जब इस सूचना का दुरुपयोग होने लगे, वह भी बिना उस व्यक्ति विशेष को सूचित किये तो यह चिंता का विषय बन जाता है।
Q : Questions (प्रश्न) - सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय ने राज्य के विरुद्ध निजता के अधिकार के उर्ध्वाधर आवेदन को स्थापित किया है। हालाँकि गैर-राज्य अभिकर्त्ताओं के विरुद्ध इसके क्षैतिज आवेदन को भविष्य में अन्य मामलों के लिये छोड़ दिया गया है।
R : Reproductive rights (प्रजनन का अधिकार) - सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रजनन के अधिकार को जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्गत रखा गया है। निजता के समान, यह अधिकार भी संविधान के दस्तावेज़ में शामिल नहीं है, परन्तु यह एक विशेष अधिकार है, क्योंकि यह संविधान में वर्णित एक अधिकार से व्युत्पन्न है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि प्रजनन के चुनाव का अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत उल्लिखित व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अंतर्गत आता है, परन्तु इसके अंतर्गत सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि एक महिला के प्रजनन के अधिकार में प्रजनन से बचने का अधिकार भी शामिल होता है।
S : Sexual identity (लैंगिक पहचान) - सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार, परिवार, विवाह, प्रसव और लैंगिक अभिविन्यास व्यक्ति की गरिमा से जुड़े हुए मुद्दे हैं। वर्ष 2013 में दिये गए एक निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय ने प्रभावी तौर पर समलैंगिकता को अपराध बताया था तथा गोपनीयता के न्यायशास्त्र में इसे एक विसंगति करार दिया था। न्यायालय के कथनानुसार, ये अधिकार जीवन के अधिकार में शामिल नहीं होते हैं। इन्हें गोपनीयता और गरिमा में निहित माना गया है। लैंगिक अभिविन्यास को किसी भी व्यक्ति की पहचान का एक आवश्यक अवयव माना गया है।
T : Terror (आतंक) - इंटरनेट के द्वारा उपलब्ध कराई गई निर्बाध संरचना और गुमनामी का आतंकवादियों द्वारा सूचनाओं के प्रसार के संबंध में एक नए माध्यम के तौर पर इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है। इन आतंकी गतिविधियों के खिलाफ इंटरनेट की निगरानी के मुद्दे को न्यायालय द्वारा "वैध हित" के अंतर्गत शामिल करते हुए इसे गोपनीयता के अतिक्रमण के खिलाफ उचित, निष्पक्ष और तर्कसंगत प्रतिबंध माना गया है।
U : Unauthorised taps (अनाधिकृत टैपिंग) - यद्यपि फोन को टेप करने संबंधी दिशा-निर्देशों को पहले ही जारी किया जा चुका है, तथापि इस फैसले के अंतर्गत भी अनाधिकृत रूप से निगरानी करने के संबंध में संरक्षण प्रदान किया गया है।
V : Violence (हिंसा) – न्यायाधीश चंद्रचूड ने कहा कि पितृसत्तात्मक मनोदशा को छुपाने और उसका परिचय देने के लिये गोपनीयता का उपयोग नहीं किया जाना चाहिये।
W : Western import (पश्चिमी आयात) - इस फैसले ने इस तर्क को ध्वस्त कर दिया है कि गोपनीयता पश्चिमी देशों से आयातित एक संभ्रांतवादी अवधारणा है। यह स्पष्ट रूप से खारिज़ कर दिया गया है कि तीसरी दुनिया के गरीबों की मूल समस्या केवल उनका "आर्थिक कल्याण" है न कि निजता का अधिकार। गोपनीयता की एलिट अवधारणा को न्यायालय द्वारा पूरी तरह से नकारा गया है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड के अनुसार, चाहे व्यक्ति किसी भी सामाजिक वर्ग का हो अथवा उसकी आर्थिक स्थिति कैसी भी हो, समाज में हर व्यक्ति अंतरंगता और स्वायत्तता का हकदार होता है।
X : X - Factor (एक्स-फैक्टर) - गोपनीयता एक मौलिक अधिकार है या नहीं, इस प्रश्न के विषय में विचार करते समय न्यायालय के लिये सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि समय के साथ-साथ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी विकास हो रहा है। ऐसे में गोपनीयता को निजता के दायरे में लाने के लिये बहुत अधिक परिपक्वता के साथ सोचे जाने की आवश्यकता है। नए युग की प्रौद्योगिकियों जैसे - कृत्रिम बुद्धि, आभासी वास्तविकता, संवर्धित वास्तविकता आदि के विकास के साथ-साथ गोपनीयता की सुरक्षा को बनाए रखने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
Y : Youth (युवा) - इस निर्णय में यह रेखांकित किया गया कि अन्य लोगों की तुलना में सामाजिक - आर्थिक दृष्टि से पिछड़े लोगों की निजता कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण है। युवा पीढ़ी द्वारा नई प्रौद्योगिकियों को अपनाए जाने से इस प्रश्न का महत्त्व पहले की तुलना में अधिक व्यापक हो गया है।
Z : Zero tolerance (असहिष्णुता) – इस फैसले के बाद सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निजता के अधिकार को साधारण विधायी बहुसंख्यकों (legislative majorities) के द्वारा किये जाने वाले हमलों के विरुद्ध प्रतिरक्षित किया गया है।
(इस संबंध में विस्तार से जानने के लिये हमारे लेख “निजता अब मूल अधिकार” का अध्ययन कीजिये।)
प्रश्न: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हो रही निरंतर वृद्धि के मद्देनज़र गोपनीयता के अधिकार की अवधारणा कितनी प्रासंगिक है? विश्लेषण कीजिये। |
स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस
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